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Amogh Lila Prabhu: कैसे एक Software Engineer बन गया संत, पढ़ें पूरी कहानी

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ज़रा सोचिए अगर आप एक बेहतरीन पेशे में हों, पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हों और लाखों रुपये महीने की कमाई हो. एक आलीशान ज़िंदगी हो, चारों और सुख की बारिश. तो क्या आप ऐसी ज़िदगी को छोड़ना चाहेंगे, शायद कभी नहीं. लेकिन इस दुनिया में कुछ विरले लोग ऐसे भी हैं जिन्हें ऐसी ज़िंदगी समझ नहीं आती. यही वजह है कि वो इस पेशे में भी नाखुश रहते हैं. लेकिन उन्हें खुशी मिलती है भगवान की शरण में जहां वो जाकर खुद को समर्पित कर देते हैं. ऐसे ही हैं इस्कॉन के एक संत हैं अमोघ लीला प्रभु. जिन्होंने अपना सारा जीवन भगवान कृष्ण की भक्ति में समर्पित कर दिया है. आपको बता दें कि अमोघ लीला प्रभु इससे पहले पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे. लेकिन फिर सबकुछ छोड़कर कृष्ण भक्ति में लीन हो गए.

सोशल मीडिया का जाना पहचाना चेहरा
अमोघ लीला प्रभु भगवद्गीता में लिखे हुए चीजों के माध्यम से युवाओं को सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं. इनका असली नाम आशीष अरोड़ा है. इनका जन्म लखनऊ में हुआ था. अमोघ लीला प्रभु सोशल मीडिया का भी जाना पहचाना चेहरा हैं क्योंकि इनसे वीडियो काफी वायरल होते हैं. अगर हम उनके परिवार के बारे में बात करें तो उनके घर में इनके माता-पिता के अलावा दो बहने हैं जिनकी शादी हो चुकी है. इनके पिता रॉ ऑफिसर थे और वो रिटायर होकर दिल्ली चले गए हैं जहा उनके माता के साथ रहते हैं.

ज्योतिष ने बचपन में की थी भविष्यवाणी
अमोघ लीला प्रभु ने शादी नहीं की. उन्होंने ब्रह्मचारी रहने का प्रण लिया है. ऐसा कहा जाता है कि जो वो छोटे थे तब उनके घर में एक ज्योतिषी आया था और उन्होंने बताया कि यह बच्चा बड़ा होकर बहुत बड़ा संत बनेगा और ये घर छोड़कर चला जाएगा तभी से उनके मन में संत बनने की भावना आ गई. इनके के करियर के बारे में बात करें तो इन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में नौकरी करते हुए की थी. लेकिन बाद में उन्होंने इस नौकरी को छोड़ दी और द्वारिका के इस्कॉन मंदिर में आकर आजीवन ब्रह्मचारी रहने का का निर्णय लिया और वहीं पर उन्होंने दिन रात लोगों की सेवा की और प्रभु के चरणों में जाकर अपना जीवन व्यतीत करने के लिए वो प्रार्थना करने लगे.

भगवद्गीता से मिली प्रेरणा
अमोघ लीला प्रभु बताते हैं कि जब मैंने भगवद्गीता पढ़ी तो मुझे लगा कि लोग तन से ज्यादा मन से बहुत कमजोर हैं फिर मैंने अपना प्लान बदला और लोगों का मन बदलने का फैसला किया इसके बाद मैं संत बन गया. श्रील प्रभुपाद अमोघ लीला प्रभु के गुरु हैं ऐसा कहा जाता है कि एक दिन अपने गुरु का भगवत गीता पर एक प्रवचन सुन रहे थे उनसे वो बहुत ज्यादा प्रभावित हुए.

बचपन से ही था आध्यात्म की ओर झुकान
बताया जाता है कि बचपन से ही इनका झुकाव आध्यात्म की ओर ज्यादा था. जब ये सातवीं में पढ़ते थे तो उनकी किताब में गीता के 5 श्लोक थे. जब इन्होंने गीता के श्लोकों को पढ़ा तो पूछने पर इन्हें पता चला कि भगवद गीता एक बहुत धार्मिक ग्रंथ है इसके अंदर 700 श्लोक हैं.

मैं भगवान श्रीकृष्ण का पोस्टमैन हूं
अमोघ लीला दास जी कहते हैं कि मैं भगवान श्रीकृष्ण का पोस्टमैन हूं…और मुझे गर्व है कि मैं उनकी मार्केटिंग करता हूं मैं गीता की शिक्षा लोगों तक पहुंचाता हूं…

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